शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

अदरक के फायदे



अदरक स्वाद में तीखी होती है। अदरक पाचक, चिड़चिड़ापन दूर करने वाली एक अध्भुत औषधि है। यह पीड़ानाशक और स्वादिष्ट होती है तथा वायू और कफ का नाश करती है। अदरक जमीन के नीचे पाई जानेवाली, ढाई से तीन फीट उचाई की झाडी की,पीले रंग की जड़ होती है। अदरक लंबे समय तक उपयोगी बनी रहे उस के लिये उसे धूप में सुखाया जाता है। कुछ जगह दूध में डूबोकर सूखने के बाद उसका सौन्ठ बनाया जाता है। सौन्ठ अदरक से भी ज्यादा गरम होती है। सौन्ठ से तेल निकाला जाता है। अगर आप अदरक को लम्बे समय तक संभल कर रखना चाहते हैं, तो उसे गीली मिट्टी में भी दबा कर रखा जा सकता है। मसाले और दवा के तौर पर अदरक को दुनियाभर में उपयोग किया जाता है। अदरक दवा के रूप में बहुत ही परिणामकारक सिद्ध हुआ है, इसलिये उसे ‘महाऔषधी’ कहा जाता है।


अदरक के फायदे | 

⦁ पाचन विकार के लिए |

⦁ सांस विकार के लिए |

⦁ स्त्री रोग के लिए |

⦁ वेदना शामक |

                                           

 1.  पाचन विकार के लिए

पाचन विकारों में अदरक मदद कर सकता है - 7 तरीके

⦁ अपच (Indigestion), खाने की अनिच्छा, पेट में गैस होना, उल्टी होना, कब्ज होना आदि के लिये।

⦁ एसिडिटी के लिए बहुत फायदेमंद।

⦁ जी मचलना, छाती में जलन, खट्टी डकार आदि के लिये।

⦁ खाना खाने के पहले  अदरक का टुकड़ा नमक के साथ चबा चबाकर खाये।

⦁ आधा चम्मच अदरक का रस, सम मात्रा में शहद और नीम्बू का रस मिलाकर दिन में तीन बार ले।

⦁ अदरक, सैन्धा नमक, काली मिर्च और पुदीने की चटनी भोजन के साथ ले।

⦁ सुबह शाम खाली पेट अदरक का छोटा सा टुकड़ा और उतना ही नमक चबा चबा कर उसे निगल ले। आधे घंटे तक कुछ ना खाये पिये। रात को सोने से पूर्व ठंडा दुध शक्कर मिलाकर पिये। यह उपाय इक्कीस दिनो तक करे। पुरानी पित्त की तकलीफ भी दूर हो जाती है।



 2.   सांस विकार के लिए



⦁ सर्दी, जुकाम, पुरानी काली खांसी, क्षयरोग, कफ, दमा आदि के लिये।

⦁ अदरक का रस शहद के साथ दिन में तीन बार लें।

⦁ अदरक के टुकडे पानी में उबालकर, जरूरत के अनुपात में शक्कर मिला कर वह पानी गरम करके पीना चाहिये। अदरक की चाय लीजिये।

⦁ अदरक का रस दुगने अनुपात में मिश्री या गुड के साथ मिलाकर चटवाये।

⦁ सौन्ठ तथा उससे चार गुना मिश्री का काढा लेने से कफ पतला होने में मदद होती है।



3.    स्त्री रोग के लिए

स्त्रीरोग संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए अदरक के २ प्रयोग।

⦁ अनियमित मासिक स्त्राव, पेट दर्द के लिये अदरक ड़ालकर उबाला हुआ पानी दिन में तीन बार लीजिये।

⦁ प्रसव के बाद होनेवाली इंद्रिय शिथिलता के लिये सौन्ठ पाक दिया जाता है।



4.   वेदना शामक

वेदना कम करने के लिए अदरक के ४ प्रयोग

⦁ अदरक को पानी के साथ पीसकर वह लेप माथे पर या जहां दर्द हो रहा हो वहा लगाये। ताज़ा जखमों पर ना लगाये।

⦁ दांत के दर्द में, अदरक का टुकड़ा दांत में पकड कर रखें।

⦁ कान के दर्द में, दो बूंद अदरक का रस कान में ड़ाले।

⦁ गठीया में कद्दूकस किया हुआ अदरक गरम करके लगाये।

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में अनेक मार्ग है जिन्हे ‘स्त्रोतज’ कहां जाता है।अदरक की मदद से उन मार्गो का अवरोध दूर किया जा सकता है।

सावधानी:

⦁ अदरक उष्ण गुणधर्मी है,गर्मी मैं इसका उपयोग कम किया जाये ।

⦁ उच्च रक्त चाप, अल्सर, रक्तपित्त आदि में अदरक का उपयोग ना करे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


ज्यादा जानकारी के लिए कमेंट करे।