सोमवार, 22 अक्टूबर 2018
नॉर्मल डिलीवरी करने के उपाय (Normal Delivery)
आज के समय में नॉर्मल डिलीवरी होना एक लक के समान माना जाने लगा है जिससे हर महिला नॉर्मल डिलीवरी करने के उपाय के बारे में जानना चाहती है हर महिला की इच्छा होती है की उसको नन्हा सा सुन्दर और तंदुरुस्त बच्चा हो बह भी नार्मल डिलीवरी से, मगर दोस्तों एक माँ ही बच्चे के जन्म का दर्द समझ सकती है की बच्चा पैदा करने के लिए कितने दर्द से गुजरना पड़ता है.
महिलाओ को अपने डिलीवरी होने से पहले हर एक चीजों का ख्याल रखना पड़ता है बिना किसी कष्ट के नॉर्मल डिलीवरी हो यह हर गर्भवती महिला की चाहत होती है लेकिन कमजोर शरीर, बुरी आदतें व प्रेग्नन्सी के साथ जुड़े काम्प्लकेशन ऐसा होने नहीं देते। लेकिन कई बार न चाहते हुए कुछ महिलाओं को सीजेरियन सेक्शन से गुजरना पड़ता है। वैसे ऐसा कोई लक्षण नहीं होता है जिससे यह पता किया जा सके कि बच्चे की डिलिवरी सीजेरियन हो या नॉर्मल।
मगर फिर भी कुछ कारणों के कारण प्रेगनेंसी करते समय डिलीवरी नॉर्मल के बजाय सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ती है, हालांकि नीचे दिये गए इन बातों का ध्यान यदि आप देते हैं तो बहुत संभव है कि बच्चे की डिलिवरी नॉर्मल रहेगी। आज हम आपको डिलीवरी कैसे होती है की जानकारी देंगे जिसमे आप प्रेगनेंट होने पर नॉर्मल डिलीवरी करने के उपाय जानकर नॉर्मल डिलीवरी से बच्चा पैदा कर सकती हो
डिलीवरी कैसे होती है ?
दोस्तों आमतौर प्रेगनेंट लेडी की डिलीवरी में दो तरीको का इस्तमाल किया जाता है वो है-
नॉर्मल डिलीवरी
सिजेरियन डिलीवरी
दोनों ही डिलीवरी अपनी जगह सही है परन्तु जहा नार्मल डिलीवरी होने पर माँ जल्दी स्वस्थ हो जाती है वाही सिजेरियन से डिलीवरी होने पर माँ को रिकवर होने में थोड़ा अधिक समय लगता है
नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन डिलीवरी में अंतर
नार्मल डिलीवरी में बच्चे का जन्म प्राक्रतिक तरीके से होता है लेकिन इसमें माँ को अधिक दर्द जिसे लेवर पैन कहता होता है परन्तु नार्मल डिलीवरी में माँ जल्दी ही स्वस्थ हो जाता है और दूसरी बार प्रेगनेंट होने में भी कोई परेशानी नहीं होती
जबकि बही सिजेरियन डिलीवरी में माँ को कम लेवर पैन होता है क्योकि सिजेरियन मैं माँ के पेट के नीचे कट लगा के ऑपरेशन के द्वारा बच्चे को ममा के पेट से बाहर निकल लिया जाता है इसे ही सिजेरियन डिलीवरी कहते है इस डिलीवरी में माँ को कुछ दिनों तक कुछ खास साबधानियाँ रखनी पड़ती है
नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है
बच्चे का जन्म नार्मल हो यह महिला को पहले से प्लान कर लेना चाहिए। नॉर्मल डिलीवरी में खाने एवं पीने के लिए अनुमति होती है इसमें महिला को अधिक लेबर पेन होता है। वहीँ जब महिला को ऑपरेशन करके डिलीवरी कराई जाती है तो सब कुछ मना कर दिया जाता है जैसे खाना -पीना आदि। महिला को ये ध्यान देना चाहिए कि लेबर पेन के वक़्त उसको कैसा फील हो रहा है|
जिससे उसे किस रूम में ले और उसकी उस समय की कंडीशन क्या है और डॉक्टर की टीम को इसका ख्याल होना चाहिए कि आपको ऑपरेशन से डिलीवरी या नॉर्मल डिलीवरी चाहिए ताकि आपको उस रूम में ले जाया जा सके। महिला को नॉर्मल डिलीवरी के बाद बच्चे का गर्भनाल काटने के बाद बच्चे को माँ के सीने से लगा कर हीट देने के लिए दे दिया जाता है। इसके बाद बच्चे को सारे और काम किया जाना शुरू कर दिया जाता है जैसे बच्चे को क्या -क्या देना चाहिए फीडिंग से लेकर सुलाने तक सभी चीजों का विशेष ध्यान रखना होता है।
नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण
डिलीवरी के समय महिला के मन में हर समय येही बात चलती रहती ही की उसका बच्चा किसे होगा , डिलीवरी नार्मल हो सकेगी या नहीं| एसे कोई भी पर्याप्त लक्षण नहीं है जिससे आपको बाते जा सके की आपकी डिलीवरी नार्मल होगी या नहीं , पर अगर आप शुरुआत से ही अपने किसी डॉक्टर के संपर्क में है तो वो माँ और बच्चे के स्वास्थ को देखकर बता सकते है की नार्मल डिलीवरी के कितने चांस है
नॉर्मल डिलीवरी के समय महिला को रीढ़ की हड्डियों में बेहद दर्द शुरू होता है इसके लिए महिला को चलने के लिए कहा जाता है।
नॉर्मल डिलीवरी के वक़्त महिला को वेजाइनल डिस्चार्ज होने लगता है।
नॉर्मल डिलीवरी के वक़्त माहवारी के दर्द जैसा अनुभव होता है।
डिलीवरी के समय पेट में ऐठन महसूस करना।
कमर के नीचे दबाव से महसूस करना
नॉर्मल डिलीवरी के वक़्त योनि और के बीच के परत खुल जाती है जिससे बच्चा आसानी से बाहर आने लगता है ऐसी अवस्था को नॉर्मल डिलीवरी कहते हैं।
नार्मल डिलीवरी करने के उपाय
अगर डिलीवरी होने के समय पर आपको प्राकृतिक प्रसव मतलब नॉर्मल डिलीवरी चाहिए तो आपको कुछ बातों को फॉलो करना होगा जिससे आप सिजेरियन डिलीवरी में होने वाले दर्द से और बाद में होने बाले खतरों से बच सकते हो.
1. डॉक्टर से सलाह लेते रहें
नॉर्मल डिलीवरी के लिए नियमित रूप से डॉक्टर से सलाह लेते रहें। ऐसे समय में डॉक्टर न केवल आपका मनोबल बढ़ाते हैं बल्कि डिलिवरी संबंधित जितने भी डर हैं उनको दूर करते हैं।
डिलिवरी संबंधित यदि आपके दिल में कोई बात है तो उसे बताएं। बात को अंदर दबाने से केवल गुस्सा बढ़ता है जिसके कारण तनाव बढता है। इधर उधर की बातो पर ध्यान न दे, इस दौरान आप दोस्तों, रिश्तेदारों तथा अपने पड़ोसियों से भी बातें कर सकते हैं। हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही कोई भी चीज़ का सेवन करे
2.पैदल टहलना
प्रेगनेंसी में महिला को पैदल टहलना सबसे बढ़िया तरीका है नॉर्मल डिलीवरी के लिए, दिन में कुछ समय सैर-सपाटे के लिए निकालें। इससे आप न केवल खुद को रिलेक्स महसूस करेंगे बल्कि ताजी हवा आपके और आपके बच्चे के लिए सुकून का काम करेगी। आप चाहे तो सुबह या शाम कुछ समय अपने घर के आसपास पार्क में टहल सकती हैं।
3. नियमित रूप से व्यायाम करें
ज्यादातर देखा गया है कि गर्भावस्था में महिलाओं को आराम करने के लिए कहा जाता है, लेकिन आराम के साथ-साथ यह जरूरी है कि अपने आप को स्वस्थ्य रखने के लिए क्या-क्या कर रही हैं। दरअसल प्रेग्नेंसी मांसपेशियों का स्वस्थ्य और मजबूत होना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे प्रसव के दौरान पीड़ा से लड़ने में मदद मिलती है। ध्यान रखें कि व्यायाम करते समय ज्यादा भारी चीजों को न उठाए और किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।
सेहतमंद नॉर्मल डिलीवरी के लिए एक्सरसाइज और योगा करने से दर्द कम होता है अगर आप गलत तरीके से कोई व्यायाम कर रही हैं तो यह आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है और नॉर्मल डिलीवरी में भी बाधक हो सकता है ।
4.पर्याप्त नींद लेना है जरुरी
पर्याप्त, अबाधित और अच्छी नींद नॉर्मल डिलविरी में कई तरह की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा सोने से दो घंटे पहले चाय या कॉफी का सेवन मत कीजिए।
5. तनाव से दूरी बनाए
तनाव लेना एवं डिप्रेशन में जाना किसी भी अच्छे काम में रुकावट बन सकता है। यही बात आपके गर्भावस्था में भी लागू होती है। तनाव गर्भावस्था में काम्प्लकेशन को भी बढ़ाता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव आपके व आपके बच्चे की सेहत पर पड़ेगा। यह एक ऐसा दौर होता है जब आपको शांत और संतुलित रहने की जरूरत है। इसके लिए टीवी पर अच्छा प्रोग्राम देख सकती हैं या फिर कोई अच्छी बुक पढ़ सकती हैं। इसके अलावा आप नकारात्मक चीजों पर ज्यादा ध्यान न दें।
6.ध्यान और सांस लेने वाले प्राणायाम -
प्रेग्नेंसी में नॉर्मल डिलीवरी हो इसके लिए आप सांस लेने वाले प्राणायाम कर सकती हैं। इसका फायदा यह होता है कि उचित और पर्याप्त ऑक्सीजन बेबी को मिलती रहती है, जिससे बच्चे का सही तरह से विकास भी होता है। इसलिए नियमित रूप से ध्यान और सांस लेने वाले प्राणायाम कीजिए।
7. प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में पानी की कमी न हो
गर्भावस्था के दौरान यह ध्यान रखिए कि शरीर में पानी की कमी न हो। पानी केवल आपको हाइड्रेटेड ही नहीं रखता बल्कि नोर्मल डिलिवरी पाने में आपकी सहायता भी करता है। गर्भवती महिला को हर दिन रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना सेहतमंद होता है और पानी की कमी दूर होती है
8. खान–पान का विशेष ध्यान रखें
प्रेग्नेंसी में आप क्या खा रहे हैं और क्या नहीं खा रहे हैं यह भी आपके नोर्मल डिलिवरी योगदान देते हैं। ऐसी अवस्था में आप सही समय पर सही आहार खाएं। प्रेगनेंसी में आयरन और कैल्शियम की कमी नहीं होनी देनी चाहिए इसके लिए हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए.अपने आहार में जूस, अंडा और फल आदि को शामिल करें। इससे आपको और आपके पेट में पल रहे बच्चे को प्रोटीन और विटामिन मिलते रहेंगे। आप आपने डॉक्टर की सलाह से डाइट ले सकती है
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