गुरुवार, 1 नवंबर 2018
कुलथी/गहथ दाल के फायदे
यह दाल पथरीनाशक है। कथुली की दाल में विटामिन ए पाया जाता है जो शरीर में पथरी को गलाने में सहायक है। गुर्दे की पथरी और पित्ताशय की पथरी को खत्म करने में फायदेमंद होती है। यह दाल पहाड़ों में काफी मात्रा में पाई जाती है।पहाड़ो मैं इसको गहथ के नाम से भी जाना जाता है।
कुलथी/ गहथ का इस्तेमाल
कुथली की दाल को 250 ग्राम मात्रा में लें और इसे अच्छे से साफ कर लें। और रात को 3 लीटर पानी में भिगों कर रख दें। सुबह होते ही इस भीगी हुई दाल को पानी सहित हल्की आग में 4 घंटे तक पकाएं। और जब पानी 1 लीटर रह जाए तब उसमें 30 ग्राम देशी घी का छोंक लगा दें। और उसमें काली मिर्च, सेंधा नमक, जीरा और हल्दी डाल सकते हो।
कब करें कुलथी/ गहथ का सेवन
कुथली के पानी को दिन में दोपहर के खाने की जगह ले सकते हो। इसे सूप की तरह पीएं। 1 से 2 सप्ताह तक नियमित एैसा करने से मूत्राशय और गुर्दे की पथरी गल कर बाहर आ जाती है।
गुर्दे में यदि सूजन हो तो कुथली के इस पानी को अधिक से अधिक पीएं।
सूप के साथ रोटी का सेवन भी कर सकते हो।
कुथली की दाल का सेवन करने से कमर का दर्द ठीक हो जाता है।
कुथली का पानी बनाने का तरीका
250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुथली की दाल को डालें। और रात में ढक कर रख लें। सुबह इस पानी को अच्छे से मिलाकर खाली पेट पी लें।
जिस इंसान को पथरी एक बार हो जाती है, उसे दोबारा होने का खतरा होता है । इसलिए पथरी निकालने के बाद भी रोगी को कुथली का कभी-कभी सेवन करते रहना चाहिए । कुलथी पथरी में औषधि के समान है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
ज्यादा जानकारी के लिए कमेंट करे।