कीड़ा जड़ी
क्या आप जानते हैं कि आपके शरीर के हर रोग का इलाज सिर्फ एक जड़ी-बूटी है। इस जड़ी का नाम है कीड़ाजड़ी। जी हां ये एक ऐसी जड़ी है, जिसकी बदौलत आपके शरीर में मौजूद हर बीमारी खत्म हो जाती है। यह खासतौर पर उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ये पाई जाती है। इसके सेवन से इंसान के शरीर में कई प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। इस जड़ी को सिर्फ बर्फीले इलाकों में पाया जाता है। इसकी कीमत करीब 2 लाख रुपये किलो होती है। इसका वैज्ञानिक नाम कॉर्डिसेप्स साइनेसिस या फिर कॉर्डिसेप्स मिलिटरीज भी है। आयुर्वेद में कीड़ाजड़ी को जड़ी-बूटी की श्रेणी में रखा गया है। जिसे हिमालयी वियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल यह जड़ी बूटी यह एक मृत कीड़े का रुप होता है।
इसमें प्रोटीन, अमीनो एसिड, पेपटाइड्स, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये तत्काल रूप में ताक़त देते हैं। कहा जाता है कि कीड़ाजड़ी से बेहतर शक्तिवर्धक दवा कोई नहीं है। हिमालयी क्षेत्रों में तिब्बत और नेपाल में भी इसका कारोबार होता है। हालांकि इसके वास्तविक गुणों के बारे में कुछ एक लोग ही जानते हैं। हिमालयी क्षेत्रों में इसे कीड़ा-जड़ी कहा जाता है। उधर तिब्बत और चीन में इसे यार्सागुम्बा या यारसागम्बू कहा जाता है।सामान्य तौर पर समझें तो ये एक तरह का जंगली मशरूम है, जो एक खास कीड़े की इल्लियों यानी कैटरपिलर्स को मारकर उस पर पनपता है। मई से जुलाई में जब बर्फ पिघलती है तो इसके पनपने का चक्र शुरू हो जाता है। कीड़ाजड़ी भूरे रंग की होती है, और इसकी लंबाई लगभग 2 इंच होती हैहिमालय में बर्फ पिघलने पर, नेपाल के सैकड़ों ग्रामीण दुर्लभ जड़ी बूटी, यार्सागुम्बा को इकट्ठा करने के लिए चोटी की ओर भागते हैं। बहुत सावधानी के साथ वे लोग इसे साफ़ करते हैं और अपने पास रख लेते हैं।
अनुभवी लोग इसे एकत्रित करके एक सीजन में लाखों कमा लेते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस जड़ी बूटी को दुनिया की सबसे महंगी जड़ी बूटी माना जाता है और ये लगभग 6 लाख प्रति किलो के हिसाब से बिकता है
प्राकृतिक इलाज के तौर पर इसका सबसे बेहतर इस्तेमाल किया जाता है। खास बात ये है कि इस जड़ी का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। आमतौर पर गंभीर रोगों के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल सांस और गुर्दे की बीमारी में भी किया जाता है। साथ ही इसके बारे में कहा जाता है कि ये उम्र के असर यानी बुढ़ापे को भी बढ़ने से रोकता है। ये शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। कीड़ा जड़ी के औषधीय गुण
- कीड़ा जड़ी या यार्सगुम्बा को फेफड़ों और गुर्दे को मजबूत करने, ऊर्जा और जीवन शक्ति को बढ़ाने, रक्तचाप को रोकने, कर्कश को कम करने के लिए भी शक्तिशाली माना जाता है।
- कीड़ा जड़ी या यार्सगुम्बा पारंपरिक रूप से नपुंसकता, पीठ दर्द, शुक्राणु उत्पादन में वृद्धि और रक्त उत्पादन में वृद्धि के लिए उपयोग किया जाता है।
- यार्सगुम्बा या यारचगुम्बा का उपयोग अस्थि मज्जा बनाने के लिए विशेष रूप से अतिरिक्त थकावट, पुरानी खांसी और अस्थमा, नपुंसकता, दुर्बलता, एनीमिया के लिए किया जाता है।
- कीड़ा जड़ी को सांस, अस्थमा, नपुंसकता, उत्सर्जन, कमर और घुटनों, चक्कर आना और टिनिटस की सूजन की कमी के लिए लिया जाता है।
- कीड़ा जड़ी का उपयोग ट्यूमर रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए भी किया जाता है, जिन्हें रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी या ऑपरेशन कॉर्डिसप्स या यार्सगुम्बा या यारचगुम्बा प्राप्त किया जाता है, प्राकृतिक वियाग्रा भी उपयोग किया जा सकता है।
- शरीर को प्रतिरोध करने और वायरस और बैक्टीरिया से होने वाले हमलों का सामना करने में मदद करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करें।
- ट्यूमर की गतिविधि रोकता है।
- रात में नींद की समस्याएं नियंत्रित करती हैं और इस प्रकार नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है, इससे न्युटुरिया की गंभीरता भी कम हो जाती है।
- रक्त परिसंचरण में सुधार करता है और रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
- ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करें, इस प्रकार कार्डियोवैस्कुलर हीथ को बढ़ावा देना।
- पुरुषों में यौन उत्थान में सुधार और महिलाओं में बांझपन का मुकाबला भी करें।
- एराइथेमिया को कम करता है, इस प्रकार दिल की रक्षा करता है।
- एलर्जी का प्रतिरोध करता है।
- जीवन शक्ति और सहनशक्ति बढ़ाता है। यह थकान को कम करने, शारीरिक धीरज और मानसिक तीक्ष्ता बढ़ाने में विशेष रूप से उपयोगी है।
- यकृत, फेफड़े और गुर्दे की समस्या को नियंत्रित करता है, एमडी इस प्रकार उनकी रक्षा करता है। यह श्वसन समस्याओं का भी प्रतिरोध करता है।
- कमर और घुटनों के दर्द को कम करता है।
- रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी के कारण दुष्प्रभावों को निष्क्रिय करता है।
- मुक्त कट्टरपंथी क्षति और ऑक्सीडेटिव तनाव के खिलाफ सुरक्षा करता है, इस प्रकार उम्र बढ़ने के प्रभाव को धीमा कर देता है।
कीड़ा जड़ी खाने का तरीका
कीड़ा जड़ी को खाने का तरीका बहुत आसान है।
एक स्वस्थ व्यक्ति एक बार में 0.3 से 0.7 ग्राम के बीच कीड़ा जड़ी का सेवन रोजाना कर सकता है।
कीड़ा जड़ी को आप गर्म पानी में घोलकर,कीड़ा जड़ी के चूर्ण को दूध में मिलाकर या अन्य किसी प्रकार के पेय में मिलाकर ले सकते है
कीड़ा जड़ी की पहचान
कीड़ा जड़ी मुख्य रूप से एक कीड़े के रूप में एक जड़ी बूटी होती है। यह उगते समय हरे रंग की होती है। कीड़ा जड़ी खुरदरा होता है और यह कई जगहों से नुकीला होता है। खाने के लिए इसे या तो छीला जाता है या फिर कीड़ा जड़ी को चूर्ण या पाउडर में पीसा जाता है।
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