शुक्रवार, 9 नवंबर 2018

पथरी भयंकर रोग




पथरी को अश्मरी , आैर स्टोन या कैलकुलस भी कहते है । यह अधिकतर पित्ताशय मण्डल यथा पित्ताशय एवं मूत्राशय मण्डंल ,गुर्दे की पथरी तथा मूत्राशय में पाई जाती है । यदि समय रहते इसका उपचार नहीं किया जाएं तो यह यम के समान यातना पहुंचाती है । आयुर्वेद महर्षियों ने पथरी रोग को आठ महारोगो में माना है । क्योंकि पथरी यदी लंबे समय तक पडी. रहे तो न केवल उस अंग को क्षतिग्रस्त करती है, अपितु शरीर पर भी अनेक दुष्प्रभाव डालती है। यहां तक कि गुर्दे में रूकावट,शोथ, गुर्दे एंव शरीर पर सुजन गुर्दे का फेल हो जाना गुर्दे का कैंसर होना,पित्त की थैली में सुजन,पीलिया हो जाना, पित्ताशय का कैंसर आदि होने की संभावना रहती है । इसलिए कहा गया है कि पथरी का सर्वप्रथम इलाज आैषधि से करें परन्तु यदि आैषधियों से काम न चले ताे शल्य चिकि‍त्सा द्धारा आपरेशन कर निकाल दें। नहीं ताे यह जानलेवा हो सकती है ।

पथरी कैसे बनती है :- पित्त एवं मूत्र में तरलता की कमी एवं न घुलने वाले पदार्थो की अधिकता होने से श्लेष्मा से मिलकर पथरी बनती है ।


गुर्दे की पथरी के लक्षण :- पथरी के आकार तथा स्थिती के अनुसार ये लक्षण होते है । आमतौर पर रोगी को इस रोग के कारण दर्द ,बार बार मुत्र आना तथा संक्रमण, मुत्र में अवरोध ,रोगी को अचानक कमर में तेज दर्द होता है । जो पीछे की आेर तथा जांघो की तरफ,वृष्णों की तरफ,लिंग के किनारे तक जाता है । दर्द धीरे धीरे बढता है आैर कुछ ही मिनटो में अति तीव्र हो जाता है । रोगी बेचैन हो जाता है आैर शारीरिक स्थितियां बदल-बदल कर चैन पाने की कोशि‍श करता है ।

उपाय:- 
  - सामर्थ्य के अनुसार व्यायाम एवं परिश्रम करे ।

- हल्का एवं सुपाच्य भोजन करे ताजे,रेशे एवं रसदार फल एवं सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करें ।

- देखा गया है कि कब्ज के रोगियों को पित्ताशय की पथरी अधिक मिलती है । अत: पेट में कब्ज न होनें दे ।

- ज्यादा चर्बी वाले पदार्थ जैसे घी ,मक्खन,मलाईयुक्त दूध, सूखे मेवे आलूचीनी, मैदे से बनी एवं घी मे तली चीजो का सेवन न करे या कम से कम करें ।


परहेजः-
- कुल्थी कि‍ दाल का पानी पने से पथरी का नाश होता है । कुल्थी में पथरी का भेदन तथा मूत्रल दोनों गुण होने से यह पथरी बनने की प्रवृत्ति आैर पुनरावृति को रोकती है ।

 -कैल्शियम और लौह से संम्बधि‍ंत खाघ पदार्थो और सख्त ब‍ीज वाली सब्जिीयों व फल से परहेज रखें ।

- कलमीशोरा,नौशादर ,वरण, पाषाण भेद,गिलोय,ऑवला,पुनरनवा,एवं नरकचुर आदि से बनी दवा मूत्र खोलकर लाती है एवं पथरी को तोडकर दूर करती है ।

नोटः- कलमीशोरा का प्रयोग च‍िक‍ित्सक के निर्देशानुसार करे,अन्यथा यह हान‍िकारक हो सकता है ।



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